प्रगतिवादी काव्य की विशेषताएं । प्रगतिवादी युग की विशेषताएं || pragativad ki visheshtaye

 प्रगतिवादी कविता धारा छायावाद के हंसों मुख काल में प्रगट हुई | इसमें व्यक्तिगत की प्रवृत्तिवादी, स्वर्ण प्रेरित, असामाजिक, उल्लंघन और असंतुलित मनोवृति के रूप में हुई है | प्रयोगवाद का आरंभ अघेय द्वारा प्रकाशित प्रथम तार सप्तक में हुआ | इसका प्रकाशन सन् 1943 में हुआ |  दूसरे तार सप्तक का प्रकाशन 1951 में हुआ, अघेय इस वाद के प्रवर्तक माने जाते हैं ||


प्रयोगवाद की विशेषताएं।    

                                


1. घोर अहमनिष्ठ व्यक्तिवादप्रयोगवादी कविता के लेखक अपनी अहम निष्ठ व्यक्तिवाद की अभिव्यंजना करते हैं! सामाजिक जीवन के साथ भी सामान्यजय नहीं रखते हाथ में विज्ञापन ही अधिक करते हैं !



2. नग्न यथार्थवाद-  इस कविता में अति नग्न यथार्थवाद का भी चित्रण किया गया है ! जिस वस्तु को श्रेष्ठ साहित्यकार अश्लील और अस्वस्थ समझकर संयम बरतना है! उसी वासना एवं वर्जनाओं की खुलकर अभिव्यक्ति करने में प्रयोगवादी नहीं हिचकते हैं ! यथा-- मेरे मन की अंधियारी कोठरी में, अतृप्त आकक्षाओ की वैश्या बुरी तरह खास रही है !!



3. अति बौद्धिकता-  प्रयोगवादी कविता में बौद्धिक व्यायाम की उछल कूद ज्यादा है! अनुभूति और रंगतमकता की कमी है!  प्रयोगवादी कवि के पाठक के हृदय को तरंगित नहीं करते अपितु मस्तिष्क को कुदरते हैं !! 



4.रीति काव्य की आवृत्ति-  प्रयोगवादी कवि रीतिबद्ध श्रृंगारी कवि के जुगत कुंडला और कामवासना की कि अर्थ सुन अभिव्यक्ति के संकलन रहते हैं ! इसमें यत्र तत्र दमन ग्रंथियां और विंबो की भूलभुलैया है !!


5. उपमानों की नवीनता प्रयोगवादी कवियों के उप मानव रूप को तथा प्रतीकों के क्षेत्र में नए प्रयोग किए जाते हैं जैसे_


प्यार का बल्ब फ्यूज हो गया 

बिजली की स्टाफ से जो एकदम सुर्ख हो गया



भाषा- भाषा के भी क्षेत्र में नवानिधि प्रयोग हुए हैं, शब्दों को तोड़ा मरोड़ा गया है कहीं उसी नई अर्थ हटा दी गई है, विश्लेषण विरामओं को आड़े तारे तिरछे प्रयोग किए गए हैं, और इन प्रयोगों के द्वारा भाषा को नया सामर्थ्य प्रदान करने की चेष्टा में दुरु हटा आ गई है!!








प्रयोगवाद के कवि एवं उनकी रचनाएं 


सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन

आंगन के पार द्वार, बावरा अहेरी

गजानन माधव मुक्तिबोध

चांद का मुंह टेढ़ा है, एक साहित्यिक की डायरी

भवानी प्रसाद मिश्र

गीत फिरोज, खुशबू के शिलालेख

धर्मवीर भारती

अंधा युग, कनुप्रिया

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

कवि की घंटियां, बांस का पुल








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