⚫ सांसारिक सुख का प्रधान - यह समय बिलास और समृद्धि का था । जीवन क्षणभंगुर है, अतः जितने दिन सुख भोग सके उतना ही अच्छा है ।अतः काव्य रचना का उद्देश्य सुख प्राप्ति माना गया है ।।
⚫कबीरा हिना जसप्रीत होने के कारण कविता भरण पोषण और धन प्राप्ति का साधन बनी ।
⚫मुक्तक काव्य और गीतिकव्य - इस काल में मुक्तक रचनाएं ही अधिक लिखी गई है जो काव्यात्मक है ! कविता, सवैया ,बर्वे ,दोहा ,छंद ,मुक्तक लिखने के लिए अनुकूल थे !
⚫श्रंगार और नखसिख का वर्णन - इनकी श्रंगार बिशियक का धारा में राम, कृष्ण जो भगवान थे ,बे भी अछूते नहीं रहे ! नायिकाओं के अंग अंग और हर अदा का वर्णन बहुत ही ललितपुर और विशुद्ध श्रृंगार परक है
⚫नायिका भेद - काव्य कला की दृष्टि से उत्कृष्ट नायिका भेद का वर्णन है ,किंतु यह काव्य विलास की वस्तु बन गया है
⚫प्रकृति चित्रण - प्रकृति वर्णन अधिक नहीं हुआ ,पर प्रकृति प्राण प्रिप्रलभ श्रृंगार के उद्दीपन के अर्थों में ही अधिक प्रयुक्त हुई ! फिर भी प्रकृति वर्णन उपेक्षित नहीं है । जहां कहीं भी प्रकृति वर्णन हुआ है बहुत ही उत्कृष्ट कोटि का वन पड़ा है नए नए उपग्रहों का प्रयोग हुआ है ।
⚫रीतिकालीन कविता में कला पक्ष की प्रधानता रही । इस कला के प्रदर्शन में संस्कृत के सभी परंपराओं का प्रभाव स्पष्ट है काई रीति ग्रंथ भी लिखे गए । भाषा में शब्दों का चमत्कार और अलंकारों की विविधता है ।
⚫विरह वर्णन मैं फारसी शैली का प्रभाव है । सोच में भाव निरूपण नहीं हुआ है ।
⚫भाषा - रीतिकाल की भाषा प्राण ब्रज भाषा ही है ।कुछ कवियों ने फारसी के शब्द अपनाएं और कुछ ने संस्कृत के शब्द तथा पद अपनाएं ।
⚫रस - वीर और श्रृंगार रस के अतिरिक्त जीवन के संध्या काल में कवियों ने शांत रस की अच्छी रचनाएं की है ।
⚫भाव पक्ष कला पक्ष से बोझिल है ! इस काल के कुछ प्रेमी कवियों ने भावनाओं का हृदयस्पर्शी का चित्रण किया है ।
⚫छंद - किसी के प्रचलित छंदों के अतिरिक्त संस्कृत के कुछ छंदों को भी अपनाया गया है ।
⚫संस्कृत साहित्य का अत्यधिक प्रभाव - इस काल के कवि पंडित और विद्वान थे ! इनका गहन अध्ययन हुआ था संस्कृत के अमरूद का तक अनुरूप कस्तक अमरू कसत आदि के आधार पर भावों को ग्रहण कर सतसई आदि लिखी और संस्कृत के लहरी काव्य के अनुसार गंगा लहरी यमुना लहरी आदि भी लिखी गई है ।
इस काल के प्रमुख कवि हैं - केशवदास ,बिहारी, घनानंद , घनानंद आदि रीतिमुक्त काव्य धरा के कवि हैं ! रीतिबद्ध कवियों के अपेक्षा रीतिमुक्त कवियों के काव्य में अधिक भावुकता तथा मार्मिकता पाई जाती है !